Friday, 20 March 2015



पाकिस्तान में बच्चों के कत्लेआम के समय लिखी गई कविता....बहुत क्षोभ और दुःख के साथ ...

तालिबान बहुत महान हो तुम्,
या बहुत गुमान है शायद
तुम्हे महान होने का;
निर्दोष छोटे-छोटे बच्चों की करके ह्त्या 
सपना देख रहे हो शायद 
सर्व शक्तिमान होने का!!
कहते हैं अखबार कि प्रत्युत्तर है ये तुम्हारा 
मलाला को,
चेतावनी है खुली कि जब-जब
होगा विरोध,
कुचल दोगे गर्दन तुम् नवजात प्रतिरोध की!!
भूलते हो तुम्,
तुम्हारे विरोध में खड़ी हूँ मैं भी,
और मेरे जैसी 
हजारों,लाखों और करोड़ों मलालाएं
मलाला सिर्फ एक लड़की का नाम है क्या?
देश, प्रांत, कूचे-कूचे में फ़ैली हैं मेरे जैसी मलालाएं 
कुचलो, मारो, काटो,
जितने हो सकते हो दैत्याकार हो जाओ,
पर रक्तबीज की तरह फैलेगा प्रतिरोध,
जितना काटोगे, उतना बड़ेगा,
कुकुरमुत्तों की तरह फैलेंगी मलालाएँ,
पीछे मुड़ो,देखो,
एक और मलाला हो रही है तैयार
ठीक तुम्हारे पीछे,
खड़ी तुम्हारी बेटी, बदल रही है मलाला में...

No comments:

Post a Comment